Sunday, 11 July 2021

बकसवाह Buxwah के जंगलों को बचाओ

 Save Buxwaha Forest.. बक्सावाहा के जंगलों को बचाओ..

आपको सोशल मीडिया पर आजकल ऐसे स्लोगन दिखाई दे रहे होंगे..

बक्सवाह क्या है और सोशल मीडिया पर इसको बचाने की मुहिम क्यों चल रही है.. आईये जानते हैं Save Buxwaha Forest के बारें में..

म.प्र. के छतरपुर जिले में बक्सवाहा के घने जंगल है जो इन दिनों चर्चा में हैं  क्योंकि यहाँ बंदर डायमंड माइनिंग प्रोजेक्ट है..

कहते हैं कि इस स्थान का सर्वे सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया की कंपनी रियो टिंटो ने शुरू किया था  2000 से 2005 के बीच मप्र सरकार ने आस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो को यहां हीरे की मौजूदगी पता लगाने के लिए एक सर्वे करने की जिम्मेदारी दी थी। सर्वे में टीम को किंबरलाइट पत्थर की चट्‌टान दिखाई दी।  हीरा किंबरलाइट की चट्‌टानों में मिलता है। जिसके बाद से ही यहां पर mining करने के लिए प्रयास तेज हो गए थे..कंपनी ने उस दौर में बिना अनुमति 800 से ज्यादा पेड़ काट डाले थे।  बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था।

रियो टिंटो भारत में वर्ष 1930 से mining क्षेत्र में काम कर रही है. मध्य प्रदेश में ऑस्ट्रेलिया से आया यह पहला निवेश (करीब 2200 करोड़ रुपए) था. Bandar Diamond Project के तहत रियो टिंटो ने 2002 में हीरे की खोज शुरू की और 2003 में कंपनी को हीरे का बड़ा भंडार मिला था. रियो टिंटो ने 2007 में खजुराहो इन्वेस्टर्स समिट में हीरा खनन के लिए MP सरकार के साथ अनुबंध किया था.

रियो टिंटो को वर्ष 2016 या 2017 की शुरुआत में उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार किया गया था, जो सालाना दो से तीन मिलियन कैरेट के बीच उत्पादन करती है।  रियो टिंटो, मध्य प्रदेश, जहां खदान परियोजना स्थित है, को value and volume के आधार पर leading diamond producing region में बदलना था, लेकिन परियोजना को पर्यावरणीय मुद्दों की एक series का सामना करना पड़ा, permission मिलने में देरी हुई और परियोजना ठप हो गई...

मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियो टिंटो ने यहां काम करने से इनकार कर दिया था। बताया जाता है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने को लेकर रियो टिंटो ऑस्ट्रेलिया में ही ब्लैक लिस्टेड है।


आईये बुराई कर लेते रियो टिंटो कंपनी की.. यह ऑस्ट्रेलिया में क्या क्या कारनामे की है.. आप खुद वीकीपीडिया या गूगल पर पढ़ सकते हैं

मई 2020 में, ब्रॉकमैन 4 Mine का विस्तार करने के लिए, रियो टिंटो ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के जुकान गॉर्ज में एक ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी पवित्र स्थल को ध्वस्त कर दिया, जिसमें 46,००० वर्षों के निरंतर मानव सभ्यता  के प्रमाण थे, और इसे ऑस्ट्रेलिया में एकमात्र अंतर्देशीय प्रागैतिहासिक स्थल माना जाता था।

कल्पना कीजिये कि कोई कंपनी हमारी भीम बैठका या एलोरा की गुफाओं जो प्राचीन काल के मानव की कलाकृतियो को दर्शाती है को Development के नाम पर तहस-नहस कर दे तो कैसा लगेगा.... ऑस्ट्रेलिया के लोगों का दर्द हम इस बात से महसूस कर सकते हैं..

ऑस्ट्रेलिया में यह मामला कोर्ट और फिर संसद तक गया तो रियो टिंटों ने हाथ जोड़कर कह दिया कि.. सॉरी भाई साब.. गल्ती हो गया.. हम अपने दोषी  अधिकारीयों को हटा देते हैं. .. 

अंग्रेजों ने कभी तो खुद सॉरी बोला नहीं लेकिन जहाँ जहाँ राज किया वहाँ के लोगो को सॉरी बोलना सीखा दिया.. अब कंपनी के सॉरी बोलने से ऑस्ट्रेलिया की हेरीटेज साईट का नुकसान ठीक तो होने वाला  नहीं है..

रियो टिंटो कंपनी ने भारत मे 2002 से 2017 तक कार्य किया है.. और 2017 में कंपनी भारत से Operation काम धंधा बंद कर कहती है यहाँ कोई लाभ नहीं मिल रहा तो हम अपना धंधा बंद कर रहे हैं... 15 सालों में कंपनी ने कितना मुनाफा कमाया या नुकसान में काम किया यह तो हम नहीं कह सकते हैं.. क्योकि जो प्रमाणिक है हम बात सिर्फ उसी की कर सकते हैं...










जंगल में करीब 40 हजार पेड़ सागौन के हैं, इसके अलावा केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ भी हैं।





क्या है बक्सवाहा प्रोजेक्ट 

देश में अब तक का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना में मिला है। एक अनुमान के मुताबिक पन्ना में कुल 22 लाख कैरेट हीरे हैं। जिनमें से 13 लाख कैरेट निकाले जा चुके हैं, लेकिन एक सर्वे के अनुसार छतरपुर स्थित  बक्सवाहा में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे निकलने का अनुमान है। माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे हैं, जिसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल को खत्म किया जाएगा।


प्रदेश सरकार ने जंगल में 62.64 हेक्टेयर जंगल को चिह्नित कर खदान बनाने के लिए दिए जाने का फैसला किया है, लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। कंपनी का तर्क है कि बाकी 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खदानों से निकले मलबे को डंप करने में किया जाएगा। कंपनी इस प्रोजेक्ट में 2500 करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है।






अब बात करते हैं कि रियो टिंटो ने भारत में क्या किया..




छतरपुर जिले की बक्सवाहा, बंदर डायमंड प्रोजेक्ट में रियो टिंटो (Rio Tinto Mining Company) नामक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी को भी हीरे का भंडार खोजने का काम मिला था. रियो टिंटो ने 2002 में यहां काम शुरू किया था. पूरा प्रोजेक्ट 2200 करोड़ रुपए की लागत वाला था. रियो टिंटो नीरव मोदी की फायर स्टोन कंपनी (Firestar fonded in 1999, Formerly known as Firestone) की सिस्टर फर्म थी. दोनों मिलकर बंदर डायमंड प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. यहां की खदान से निकलने वाले बेशकीमती हीरों की प्रदर्शनी मुंबई से लेकर विदेशों तक लगाई जाती थी. 

अब कोई यह बतायें कि

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बंदर डायमंड प्रोजेक्ट में हीरा भंडार 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का था. रियो टिंटो 8 सालों तक प्रोस्पेक्टिंग के लिए बोरिंग और अन्य उपकरणों से खुदाई करती रही, लेकिन प्रोजेक्ट बंद करने के एलान के बाद पन्ना के हीरा कार्यालय में उसने सिर्फ ढाई लाख रुपए कीमत के ही 2700 कैरेट हीरे जमा कराए.  



हीरे निकालने बदल दी रिपोर्ट, पांच साल में गायब हो गए वन्य प्राणी : 

यह क्षेत्र सघन वन से घिरा हुआ है। साथ ही यह क्षेत्र 

जैव विविधता से भी परिपूर्ण है। मई 2017 में पेश की गई जियोलॉजी एंड माइनिंग मप्र और रियोटिंटो कंपनी की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में तेंदुआ, भालू, बारहसिंगा, हिरण, मोर सहित कई वन्य प्राणियों काे यहां मौजूद होने की बात कही गई थी। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में लुप्त हो रहे गिद्ध भी हैं।  दिसंबर में प्रस्तुत की गई नई रिपोर्ट में डीएफओ और सीएफ छतरपुर ने यहां पर एक भी वन्य प्राणी के नहीं होने का दावा किया है। वहीं हीरे निकालने से इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। वहीं यहां मौजूद वन्य प्राणियों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो जाएगा।


 

10 Dec 2019 07:15 AM

मध्यप्रदेश में छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान को पाने की दौड़ में अब तीन कंपनियां ही शेष बची हैं। इनमें अडानी ग्रुप की चेंदीपदा कालरी, रूंगटा माइंस लिमिटेड और बिड़ला ग्रुप की एस्सल माइनिंग को तकनीकी बिड के बाद पात्र पाया गया है। मंगलवार को अब ऑनलाइन नीलामी में इनमें से किसी एक को यह बहुचर्चित खदान सौंप दी जाएगी। हीरा उत्खनन की विश्व विख्यात कंपनी रियो टिंटो ने करीब तीन साल पहले इस हीरे की खान को छोड़ दिया था।



Dec 12, 2019 01:47 PM

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बंदर हीरा खदान की बोली कुमार मंगलम बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग ने हासिल की है। खदान में अनुमानत: 3.50 करोड़ कैरट हीरे (अनुमानित कीमत 55 हजार करोड़ रुपये) का भंडार है। इस खदान से राज्य सरकार को करीब 23 हजार करोड़ रुपये का राजस्व हिस्सेदारी और रॉयल्टी के रूप में हासिल होगा।

गौरतलब है कि सरकार ने वर्ष 2007 में बहुराष्ट्रीय कंपनी रियो टिंटो को खदान का काम सौंपा था। उस वक्त प्रदेश सरकार ने शर्त रखी थी कि खदान से निकलने वाले हीरे निर्यात नहीं किए जा सकेंगे और उनका प्रसंस्करण (कटिंग और पॉलिश) मध्य प्रदेश में ही करना होगा। कंपनी ने 2017 में परियोजना को अलाभकारी मानते हुए अपने हाथ खींच लिए थे। उसके बाद राज्य सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया था। ताजा नीलामी के दौरान भी सरकार उक्त शर्त रखना चाहती थी लेकिन कंपनियों की अरुचि को देखते हुए अंतिम समय में शर्त को हटा लिया गया।






अब कोई यह बोले कि डायमंड Produce कर हमारी इकोनॉमी बहुत तेज हो जायेगी या हमें कोई बड़ा फायदा होने वाला है तो यह न सोचें ऐसा कुछ नहीं होने वाला...



छतरपुर जिले के बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान में दिसंबर 2022 से पहले खनन शुरू होने की उम्मीद है। एक्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन की योजना तैयार कर ली है, जो पहले चरण के फारेस्ट क्लीयरेंस (वन विभाग की मंजूरी) के लिए वन विभाग को भेजी जा रही है। कंपनी को खदान तक पानी ले जाने की मंजूरी मिल चुकी है और बिजली पहुंचाने पर भी काम चल रहा है।




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