चाहे कुछ भी हो जाये बुआ,उस औरत को मैं कभी भी अपनी "माँ" स्वीकार नही करूँगी ,
४५ साल की कुँवारी औरत हम बच्चों को माँ का प्यार कैसे दे सकती है ?
वो बच्चों का दर्द क्या समझेगी , .!!
अरे हाँ मैं उसे क्यूँ कोस रही हूँ , मुझे तो शर्म आती है पापा की सोच पर हम बच्चों का देख भाल करने के आड़ में ,अपना सुख पूरा करना चाहते है। आपको ना जाने क्यूँ इतनी सी बात समझ नही आ रही है ।
शांति से सोच रिया तुम दोनों बहने तो शादी करके अपने घर चले जाओगी २-४ सालों में उसके बाद भैया अकेले रह जायेंगे ...कहते हुए कमला उसके सर को प्यार से सहलाने लगी ।तभी रिया बोली बुआ अगर माँ की जगह पापा को कुछ हो जाता तो भी आप यही बात इतनी आसानी से माँ के लिए कहती ,??
कमला बोली शायद नही कहती क्योंकि स्त्री अंदर से बहुत मजबूत होती है हर मुश्किल का सामना बड़ी साहस के साथ कर सकती है घर बाहर दोनो को संभाल सकती है , लेकिन पुरुष के लिए एकाकी जीवन बहुत मुश्किल होता है ।
ठीक है बुआ आपको पापा सही लगते है तो आप उनका साथ दे सकती हो ,पर हम दोनो बहने इस रिश्ते को कभी नही स्वीकारेंगे वो "दूसरी औरत" हमारी माँ कभी नही बन सकती कहते हुए रिया कमरे से बाहर चली गयी।
सुख के समय को बीतते कहाँ समय लगता है , देखते -देखते आठ साल हो गए ,दोनो बेटियों की शादी हो गयी दोनो ही अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गयी । पर शादी के बाद इतने सालों में दोनो ने कभी मायके का रुख नही किया । पापा को भी माफ नही कर पाई ...............
एक दिन दोपहर को रमाकांत जी घर का डोर बेल बजा दरवाज़ा रमाकांत जी की पत्नी ने खोला और सामने रिया को खड़े देखकर हैरान हो गयी जब तक कुछ समझ पाती ,रिया उनके पैरों में गिर कर रोने लगी मुझे माफ़ कर दो माँ मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई,
आप महान हो माँ मुझे माफ़ कर दो।
उठो बेटी कहकर उन्होंने रिया को गले से लगा लियाऔर उनके माथे को पागलो की तरह चूमने लगी .........
रमाकांत जी तंज कसते हुए बोले ये दूसरी औरत तुम्हारी माँ कब से हो गयी ?
रिया सिसकते हुए बोली आपको तो सब पता है पापा फिर आप ऐसा क्यूँ बोल रहे हो ...!
ओह, तो आज तुम्हे पता चल गया कि तुम्हारे पति को किडनी दान कर तुम्हारे सुहाग को जीवन दान देने वाला , अजनबी कोई और नही बल्कि ये दूसरी औरत ही है कहते हुए व्यंग्यात्मक मुस्कान रमाकांत जी के चेहरे पर फैल गई.... तुम जैसी कुछ लोगों की वज़ह से ही दुनिया कहती है कि ....."औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन है "
रमाकांत जी कुछ और बोलते उसके पहले ही उनकी पत्नी बोल उठी जाने भी दो रहने दो पुरानी बातें ........
जल्दी जाकर मिठाई लेकर आइये ना ......आज मैं पहली बार माँ बनी हूँ कहते कहते रो पड़ी ,.....
रमाकांत जी भी अपनी आँखों की नमी पोछते हुए थैला लेकर घर से बाहर निकल गए .......
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