प्रस्तावना: आज का युग वैज्ञानिक प्रगति का युग है आज का वैज्ञानिक शोध एवं विकास कार्य में सतत प्रयत्न शील है आज तक जो कार्य मानव को काल्पनिक और असंभव प्रतीत होते थे वैज्ञानिक आविष्कारों ने उन्हें संभव बना दिया है अंतरिक्ष के संबंध में जो रहस्यात्मक बनी रहस्यात्मक था बनी थी उसके संबंध में हमारा मत यही बना रहता था|
Twinkle twinkle little star
how I wonder what you are
यह आज स्पष्ट हो गया है अंतरिक्ष की यात्रा 4 अक्टूबर सन 1957 को प्रारंभ हुई जब उसने अपने कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक फर्स्ट का प्रयोग किया इसके पश्चात 3 नवंबर 1958 को 14 मनके बाहर वाला दूसरा स्पूतनिक छोड़ आई सी के पश्चात 15 मई 1959 को तृतीय एवं 2 जनवरी 1964 को चौथा उपग्रह छोड़ा चंद्रमा पर किसी जीवधारी का प्रवेश 3 नवंबर 1958 किस्मत में तू में किया गया जिसमें लाइक का नाम की कुतिया को भेजा इसी से प्रभावित होकर अमेरिका में 28 मई सन 1959 को अपने ज्ञान में दो बंदरों को चंद्रमा का धरातल पर जीवित वापस आ गए|
इसके पश्चात 12 अप्रैल सन 1962 को अंतरिक्ष के क्षेत्र में रूस ने अपनी सफलता का परिचय दिया जब सर्वप्रथम मानव को उसने अंतरिक्ष में भेजा और उसके ईसापूर्व शास्त्री का नाम यूरी गागरिन था इसी प्रकार 16 जुलाई सन 1969 को केप केनेडी से अमेरिका अपोलो 11 चंद्रमा की ओर रवाना किया जिसमें तीन वीर सपूत गए हुए थे नील आर्मस्ट्रांग एडमिन एडमिन माइकल कॉलिंस इस प्रकार रूस और अमेरिका ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयास कार्यक्रम आज तक चल रहा है|
अंतरिक्ष अनुसंधान से संबंधित भारत के प्रयास भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का प्रारंभ नवंबर 1969 में वर्ष का प्रथम अध्यक्ष डॉक्टर साराभाई हुए | विक्रम साराभाई केंद्र की स्थापना के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान का आरंभिक का बयान 19 अप्रैल सन 1975 को आर्यभट्ट के प्रक्षेपण के साथ हुआ जिसकी ऊंचाई 116 सेंटीमीटर तथा भार 360 प्रोग्राम था| भारत के अंतरिक्ष युग का द्वितीय चरण जून 1969 को भास्कर नामक उपग्रह का प्रक्षेपण से हुआ उसका वजन 444 किलोग्राम का अशुभ ग्रह का निर्माण बेंगलुरु से तो गृह निर्माण केंद्र में भारतीय वैज्ञानिकों ने किया|
इसके पश्चात 15 जुलाई 1980 को भारत में रहने को श्री हरिकोटा केन्द्र से SLV3 प्रक्षेपित करने में सफलता आपके कदम से प्रदेश के जिले में स्थित है|प्रक्षेत्र के 9 दिनों के उपरांत कुछ तकनीकी खराबी के कारण अंतरिक्ष में यह नष्ट हो गया परंतु इस असफलता से हमारे वैज्ञानिक निराश नहीं हुए अपने प्रयासों से भारतीय वैज्ञानिकों में निराशा नहीं हुई और 19 जून 1981 को दूरसंचार उपग्रह अंतरिक्ष में अपने कक्षा में स्थापित किया जा सका|
इस उपग्रह के माध्यम से 22 जुलाई 1981 को दूरदर्शन के कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया और यह उनके इस प्रयास में सफल सिद्ध नहीं हुआ इसके पश्चात वर्ष 1982 के पूर्वार्ध में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह इनसाइट आईएएस अमेरिकी केंद्र से छोड़ा गया किंतु इसका प्रशिक्षण कार्य सफल नहीं हो पाया| इनसेट ID की परंपरा में इंटरेस्ट आईआईपी 30 अगस्त 1983 में अमेरिका के केप केनेडी नामक स्थान से प्रक्षेपित किया गया इसी के पश्चात इनसेट आई सी सन 1983 में अमेरिका के केप केनेडी से छोड़ा गया यह संचार उपग्रह है जिसके द्वारा दूरदर्शन डाक तार और मौसम संबंधी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है तब से अब तक करने का सफल प्रक्षेपण भारत कर चुका है|
अंतरिक्ष और प्रथम भारतीय यात्री अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में अप्रैल 84 अविस्मरणीय रहेगा क्योंकि इस दिन इस ग्रेट लीडर राकेश शर्मा को प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव प्राप्त हुआ है इस वर्ष में दो सोवियत अंतरिक्ष यात्री कमांडर यूं ही मनुष्य और इंजीनियर जिला डिस्ट्रिक्ट पाली थे उड़ान सोवियत रुस के बेकार नामक स्थान से भारतीय समय अनुसार 6:30 से सोयुज टी से हुई| श्री शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा के मध्य भारत भूमि के कई चित्र कीजिए जिनके द्वारा भारत की प्राकृतिक संपदा वैभव बोलो भौगोलिक स्थिति के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई उन्होंने यह भी खोजा क्या अंतरिक्ष यात्रा के कारण मानव पर पड़ने वाले दुष्परिणामों का सामना किस प्रकार किया जा सकता है इसके कारण तथा योगासन कहां तक पहुंचा सकते हैं इस तथ्य पर भी श्री शर्मा ने अनुसंधान किस प्रकार भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान कार्य कृतियों की गति से चल रहा है|
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