Tuesday, 27 June 2017

Rakshak aur Bachche ki kahani

एक बहुत बड़ा और सुंदर बाग था जिसमें 12 बड़े बड़े पेड़ थे जो कि बाग एक राक्षस का था जो 7 वर्षों के लिए कहीं बाहर गया हुआ था एक दिन जब वापस आया उसने देखा कि



उसकी सुंदर बाग में बच्चे खेल रहे थे ऊंची आवाज में बोला - " तुम लोग मेरे बाग में क्या कर रहे हो चलो भागो यहां से" घबरा कर  सभी बच्चे भाग गए| राक्षस ने बाग की चारों ओर ऊंची दीवार बना दी और उसके बाहर की चेतावनी लगा दी कोई भी इस बाग में ना आ पाए|
राक्षस बहुत स्वार्थी था बच्चे बहुत उदास हो गए उनके लिए खेलने की जगह नहीं थी जल्दी ही बसंत ऋतु आए परंतु राक्षस के बाद में अभी भी सर्दी थी तीनों पर फूल नहीं होगे राक्षस सोचने लगा की बसंत मौसम आने में इतनी देर क्यों हो गई है वह अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था उसके कानों में
कोयल की मधुर आवाज सुनाई थी उसने खिड़की में से बाहर झांक कर देखा, बच्चों ने दीवार में एक बड़ा सा छेद बना दिया था राक्षस को बाहर जाता देख सारे बच्चे घबराकर छेद मैसेज तेज तेज पर निकलने लगे राक्षस घर से बाहर आया सभी बच्चे बाहर निकल चुके थे सिर्फ एक छोटा बच्चा उसकी ऊंचाई तक नहीं पहुंच पा रहा था बस वही अंदर रह गया था राक्षस ने उस बच्चे को अपने हाथों में उठा लिया और सोचने लगा कि मैं कितना स्वार्थी था मैंने अपने बाग में बच्चों को नहीं आने दिया इसलिए मेरे बाग में बसंत रितु नहीं आ रही है|

उसका एक बड़ा सा है हथोड़ा लिया और बाग के चारों तरफ बनी दीवार को तोड़ दिया अब बाग सभी बच्चों के लिए आने जाने के लिए खुला हुआ था|

अब बच्चे जब भी उस बाग के सामने से निकलते तो उसे नमस्कार जरूर करते थे| उन सभी बच्चों से राक्षस उस छोटे बच्चे के बारे में जरुर पूछता था पर उनको को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी|
एक  सर्दी की सुबह उसने देखा कि एक पेड़ पर बाहर दिखाई दे रही थी उस पेड़ के नीचे वह छोटा बच्चा खड़ा था उसे देख कर बहुत खुश हुआ उसने छोटे बच्चे को कहा - अब तुम वापस आ गए हो आज मैं बहुत खुश हूं यह बाग तुम्हारे कारण ही अच्छा लगने लगा है तुम्हारा धन्यवाद और उसने  बच्चे को सीने से लगा लिया|

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