Thursday 23 August 2018

पिता को समर्पित खूबसूरत पोस्ट

बहुत ही खूबसूरत पोस्ट लिखी है और बड़े दिल से लिखी है एक बार जरूर नमन कीजिए
*जीवन में 45 पार का मर्द........*
*कैसा होता है ?*
थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास, खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद,
जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,
जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ,
अनुभव की पूंजी हाथ में लिए,
परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में, जो उसे नहीं मिल पाया था,
बस बहे जा रहा है समय की धारा में,
*बीवी और प्यारे से बच्चों में*

पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,
रात को घर आता है, सुकून की तलाश में, लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे ?
दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,
पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था,
नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए,
लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए, अब वो क्या कहे बच्चों से,
कि जेब में पैसे थोड़े कम थे,
कभी प्यार से, कभी डांट कर,
समझा देता है उनको,
एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है, आँख के कोने में, लेकिन दिखती नहीं बच्चों को,
उस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों के,
खाने की थाली में दो रोटी के साथ,
परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं,
*कभी,* तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है,
कुछ कहते ही नहीं,
*कभी,*
हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,
कभी प्यार से बात भी कर लिया करो, लड़की सयानी हो रही है,
तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता,
लड़का हाथ से निकला जा रहा है,
तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है,
पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें, शिकवे शिकायतें दुनिया भर की,
सबको पानी के घूंट के साथ,
गले के नीचे उतार लेता है,
जिसने एक बार हलाहल पान किया,
वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया, यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है,
जिंदा रहने की चाह में,
फिर लेटते ही बिस्तर पर,
मर जाता है एक रात के लिए,
*क्योंकि* सुबह फिर जिंदा होना है,
काम पर जाना है,
कमा कर लाना है,
ताकि घर चल सके,....ताकि घर चल सके.....ताकि घर चल सके।।।।
*दिलसे सभी पिताओं को समर्पित,,,,,,,,,,,,,,,*

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